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फिल्म केदारनाथ एक यात्रा हैं, केदारनाथ की स्टार 3.5/5

2013 मे केदारनाध की  बाढ़ को शायद की कोई भुल सकता  है निर्देशक अभिषेक कपूर ने इसी टॉपीक को छूने की कोशिस की है ।
    बात करते है कहानी की मंसूर सुशाँत सिंह राजपूत केदारनाथ के यात्रियो को उपर दर्शन के लिए ले जाने का काम करता  है वही मुकु उर्फ मन्दकनी सारा अली खान पण्डित की बेटी है जिसकी मंगनी उसी के बडी बहन से मंगनी तोड चुके से हुई है
 कहनी ने आगे का रूख लिया और थिरे थिरे मुकु को मंसूर  से प्यार हो जाता है।
आग दोनो तरफ लगी पर अचानक मुकु के मंगेतर और पण्डित को इस बात की खबर हो गयी और मुकु की शादी तय कर दी गयी उसी के मंगेतर से फिर आप एक बार फिल्म दे ले
    अभिनय की बात करते है फिल्म मे बेहद उम्दा ऐक्टिंग की तो वह है सारा अली खान उन्के हर सीन मे लगता ही नही था की वह ऐक्ट कर रही है और यह उनकी पहली फिल्म हो जितनी तारिफ करे उतना कम  है रहा सवाल सुशाँत सिंह का तो वह भी सटिक बैठे पर कही कही सारा के सामने कमजोर नज़र आये। वही नितीश भरद्वाज से लेकर अन्य कलाकारो ने भी अछि ऐक्टिंग की है
    बात करते है निर्देशन की अभिषेक कपूर ने वाकय बाध के रखा है उन्होने मानो केदारनाथ के दर्शन ही करा दिये हो एक एक सिन के करने से पहले जैसे की वह तैयारी पुर्ण तरह से की हो केदारनाथ की वादिया हो या उसकी सुन्दरता को बारीकी से पुरोया है यहा तक वहा लगे बेनरो पर कटाक्ष भी किया वह भी हस्ते हस्ते साथ ही बाढ से पहले हिन्दू मुस्लिम का साथ वादियो मे रेहन एक साथ काम करना सटिक और सरलता से दर्शाया है। आखिर के 20 मिनट बाढ के सीन एसे नज़र आते है जैसे मानो आप के सामने हो रहा हो वहा के रहवासियो का वह मंजर उनका दुख उनकी तकलिफो को खुब दर्शाया है।
  फिल्म की अच्छाईया की बात हुए तो कुछ बुराई भी करते है फिल्म के कुछ एक सीन है जो लम्बे नज़र आये जिसकी अवशकता नही थी मशलन मुकु और बसिर के उपर से निचे आने के सिन कई बार बोर करते थे यहा तक दोनो खुले आम गुमते है और किसी को नही सिर्फ मुकु की बहन को ही समज  मे आता है
इन सब को नज़र अंदाज भी कर सकते है |


समीक्षक 
पुष्कर ओझा 

विडिओ देखे :
 
https://www.youtube.com/watch?v=Tc640Nr2qUc


https://www.youtube.com/watch?v=qVJqN-bFfGo